Famous foods of Uttarakhand – उत्तराखंड के प्रसिद्ध भोजन

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उत्तराखंड भारत का एक खूबसूरत राज्य है जो मुख्य रूप से अपनी पहाड़ी सुन्दरता, कला, संस्कृति और खाने के लिए प्रसिद्ध है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को उँगलियाँ चाटने पर मजबूर कर देता है।

उत्तराखंड के प्रसिद्ध व्यंजनों के बारे में अनोखी बात यह है कि वे ज्यादातर जलती हुई लकड़ी या लकड़ी के कोयले पर पकाया जाता है, जो उन्हें अतिरिक्त पौष्टिक गुण प्रदान करता है।

उत्तराखंड के खाने में कई वैरायटी मौजूद है जिन्हें कोई भी उत्तराखंड की यात्रा में चख सकता है। उत्तराखंड के फेमस खाने (Famous foods of Uttarakhand) के बार में बहुत से लोग तो अभी भी अनजान है।

Famous foods of Uttarakhand
Famous foods of Uttarakhand

उत्तराखंड अपने विचारों के लिए और भोजन के लिए प्रसिद्ध है। मुख्य खाने की वस्तुओं से लेकर मीठे पकवान तक, उत्तराखंड का हर व्यंजन अपने लिए बोलता है।

उत्तराखंड के प्रसिद्ध भोजन

यदि आप भी उत्तराखंड के प्रसिद्ध खाना के बार में अभी भी अनजान है तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े जिसमे हमने उत्तराखंड के प्रसिद्ध व्यंजनो (Famous foods of Uttarakhand) की सूची तैयार की है आपको जब भी मौका मिले या जब भी उत्तराखंड की यात्रा पर आयें तो इन लजीज डिशों को टेस्ट जरूर करें ।

मडुए की रोटी

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मडुए की रोटी
मडुए की रोटी मडुए के आटे से बनती है। यह एक स्थानीय अनाज है और इसमें बहुत ज्यादा फाइबर होता है। स्वादिष्ट होने के साथ ही यह स्वास्थ्यवर्धक भी होती है। 
मडुए की रोटी भुरे रंग की बनती है। मडुए का दाना गहरे लाल या भुरे रंग का होता है और यह सरसों के दाने से भी छोटा होता है मडुए की रोटी को घी, दूध या भांग व तिल की चटनी के साथ परोसा जाता है। 
कई बार पूरी तरह से मडुए की रोटी के अलावा इसे गेंहू की रोटी के अंदर भरकर भी बनाया जाता है। ऐसी रोटी को लेसु रोटी भी कहा जाता है।

भांग की चटनी या तिल की चटनी

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भांग की चटनी

भांग और तिल की चटनी काफी खट्टी बनाई जाती है और इन्हें कई तरह के स्नैक्स और रोटी के साथ खाया जाता है। भांग की चटनी हो या तिल की चटनी इसके लिए इनके दानों को पहले गर्म तवे या कढ़ाई में भूना जाता है।

इसके बाद इन्हें सिल (आजकल मिक्सी) में पीसा जाता है। इसमें जीरा पावडर, धनिया, नमक और मिर्च स्वादानुसार डालकर अच्छे से सभी को सिल में पीस लिया जाता है। बाद में नींबू का रस डालकर इसे आलू के गुटके या अन्य स्नैक्स व रोटी आदि के साथ परोसा जाता है।

अगर आप भांग का नाम सुनकर चिंतित हैं तो परेशान ना हों, इसके दानों में नशा नहीं होता है और इनका स्वाद आलौकिक होता है।

मुख्य सामग्री: भांग के बीज, जीरा, नींबू, लाल मिर्च, इमली।

अरसे

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अरसे

शादी-ब्याह के मौसम में इसे खास तौर पर बनाया जाता है. इसके लिए चावल को पीसकर आटे की शक्ल दी जाती है. फिर गुड़ को पिघलाकर इसमें मिलाया जाता है और फिर गोल बिस्किट के आकार में तेल या घी में फ्राई किया जाता है. गढ़वाल का यह एक पारंपरिक मीठा पकवान है।

सिंगल और पुए

सिंगल और पुए
सिंगल और पुए
ये उत्तराखंड कुमाऊँ की स्पेशल रेसिपी जिसे हम जन्मदिन, त्यौहार और हर पूजा में प्रसाद के तौर पे बनाते हैं.  ये दिखने में जितने गोल मटोल गुलगुले होते हैं खाने में उतने ही नरम और मुँह में घुलने वाले जिन्हे हम “पुए” कहते हैं, इनके बिना हमारे त्यौहार, कोई भी मांगलिक कार्य और कोई भी शुभ अवसर अधूरे लगते हैं. इसे सूजी, घी, दही और दूध और पके हुए केले के मिक्सचर  से तैयार किया जाता है

उड़द दाल के बड़े

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उड़द दाल के बड़े

उड़द दाल के पहाड़ी बड़े पहाड़ियों का वह खाश पकवान है जिसे हर शुभ कार्य को शुरू करने से पहले जरूर तैयार किया जाता है। हर तरह के मांगलिक कार्य, चाहे विवाह कार्यक्रम हो या किसी शुभ कार्य की शुरुआत हो या कोई पर्व हो, उड़द दाल के बड़े को शुभ माना जाता है।

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अगर आप एक पहाड़ी क्षेत्र (खासकर उत्तराखंड के गढ़वाल तथा कुमाऊं क्षेत्र) में किसी मांगलिक कार्य में शामिल होते हैं तो आपको पहाड़ी काली दाल के इन पकोड़ों का स्वाद चखने का मौका जरूर मिलेगा।   उड़द दाल को पीस कर तैयार किये जाने वाला यह पकवान स्वाद में अच्छा होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है।

मुख्य सामग्री: उड़द दाल, धनिया पत्ते, हरी मिर्च, सिलबट्टा, तिल, सरसों का तेल।

समृद्ध स्रोत: प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन बी

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बड़ी की सब्जी

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बड़ी की सब्जी

बड़ी हमेशा से  ही उत्तराखंड का सबसे लोकप्रिय भोजन बना हुआ है। यह न केवल अपने स्वादिष्ट स्वाद के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों को भी वहन करता है।

दरअसल, यह स्वाद और पोषण का एक संयोजन है और इसलिए इसे उत्तराखंड का सबसे अच्छा पारंपरिक भोजन माना जाता है।

इसे बनाने के लिए ककड़ी, लौकी, भुज या मूली और मास (उड़द) को बारीक पीस के दोनों के मिश्रण को छोटे छोटे गोले या चपटे टाइप के आकार का बना कर धूप में सूखाया जाता है जिसको सूखने में लगभग 1 महीने का समय लग जाता है उसके बाद इसकी हम सब्जी बना कर खा सकते है।

मुख्य सामग्री: लौकी, ककड़ी, भुज , उड़द, पानी

समृद्ध स्रोत: विटामिन बी 12, विटामिन ए

झोली भात

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झोली भात
स्वाद और पोषण से भरपूर झोली या कड़ी चावल उत्तराखंड के लोकप्रिय व्यंजनों में से सभी स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक है। इसे उत्तराखंड में मुख्यतः झोली के नाम से जाना जाता है। यह अविश्वसनीय सुगंध और मुंह में पानी लाने वाले स्वादों का एक अत्यधिक लुभावना मिश्रण है। इसे कम से कम समय में तैयार किया जा सकता है जो इस जबरदस्त व्यंजन की अनूठी विशेषता है। 

उत्तराखंड के लोगों के लिए इसको बनाना बहुत आसान है, आपको बस थोड़ा दही और बेसन की आवश्यकता है। दोनों को मिक्स करके इसमे पानी ओर अन्य मसले स्वादानुसार मिला कर इसका पेस्ट बनाकर साथ में प्याज और टमाटर को तेल या घी मैं फ्राई करके बनाया जाता है या जीरा का तड़का भी लगा सकते है।

इसके ऊपर पकोड़े या मूली डालकर इसका स्वाद दुगुना हो जाता है पूरे दिन के कठिन भ्रमण के बाद उत्तराखंड का यह प्रसिद्ध भोजन आपको निश्चित रूप से तरोताजा महसूस कराएगा।

मुख्य सामग्री: दही या छाछ, टमाटर, प्याज, बेसन, मूली, जीरा, हरा धनिया, हरि मिर्च।

कंडाली का साग / सिसौंण का साग

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kandali-सिसौंण-का-साग

बिच्छू घास जिसे गढ़वाली में ‘कंडाली’ और कुमाऊँनी में ‘सिसौंण’ भी बोलते हैं सिसौंण का साग एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो अन्य हरी सब्जियों के व्यंजनों की तरह ही तैयार की जाती है। हालांकि, इसका मुख्य घटक बिच्छू घास इसे बाकी समान व्यंजनों से अलग बनाता है।

सिसौंण के साग में बहुत ज्यादा पौष्टिकता होती है। सिसौंण को आम भाषा में लोग ‘बिच्छू घास’ के नाम से भी जानते हैं। सिसौंण के हरे पत्तों की सब्जी बनाई जाती है।

हालांकि सिसौंड के पत्तों या डंडी को सीधे छूने पर यह दर्द देता है. शायद इसी लिए इसे बिच्छू घास कहते हैं, क्योंकि अगर यह शरीर के किसी हिस्से में लग जाए तो वहां सूजन आ जाती है और बहुत ज्यादा जलन होती।

लेकिन साग बनाने पर यह सब नहीं होता और गांव-देहात की अनुभवी औरतें इसे बड़ी सावधानी से हाथ में कपड़ा लपेटकर काटती हैं।

 मुख्य सामग्री: बिच्छू घास, प्याज, घी, मसाले।

समृद्ध स्रोत: विटामिन ए

गहत दाल के पराठे

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गहत दाल के पराठे

ऐसा नहीं है कि पराठे सिर्फ पंजाब में ही पसंद किए जाते हैं। उत्तराखंड में गहत दाल के पराठे भी खूब पसंद किए जाते हैं। गहत दाल को गेंहू या फिर मड़ुए के आटे में भरकर पकाया जाता है।

गहत या कुलथ को हमारे शरीर में किडनी पर सकारात्मक प्रभाव के लिए भी जाना जाता है। लोग गहत की दाल को भूनकर भी खाना पसंद करते हैं. आमतौर पर इसके लिए मड़ुए के आटे का इस्तेमाल होता है।

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चैंसू / चैसोणी

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चैंसू / चैसोणी

गढ़वाल क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक चैंसू उड़द या मास की दाल से तैयार किया जाता है। एक लोकप्रिय उत्तराखंड भोजन में निश्चित रूप से प्रोटीन और आवश्यक पोषक तत्वों के थोक शामिल होंगे।

अपने उच्च प्रोटीन सामग्री के कारण चैंसू को पचने में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन फिर भी, यह स्वादिष्ट स्वाद एक कोशिश के लायक है! शुरू में दाल को टोस्ट करना और फिर उसमें से एक दरदरा या मोटा पिसना बनाना इस नाजुकता को तैयार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

आप उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध भोजन के सुगंधित स्वाद का आनंद लेते हैं, विशेष रूप से इसकी धीमी पकाने की लौ में लोहे की कड़ाही में पकाने की अनूठी विधि के कारण।

मुख्य सामग्री: उड़द दाल / मास की दाल, घी, मसाले

समृद्ध स्रोत: प्रोटीन

भट के डुबुक / डुबुके

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भट के डुबुक / डुबुके

डुबक भी कुमाऊं के पहाड़ों में अक्सर खाई जाने वाली डिश है. असल में यह दाल ही है, लेकिन इसमें दाल को दड़दड़ा पीसकर बनाया जाता है, लेकिन यह ‘मास के चैस’ से अलग है. डुबक पहाड़ी दाल भट और गहत आदि की दाल से बनाया जाता है. लंच के समय चावल के साथ डुबुक का सेवन किया जाता है।

यदि आपको उत्तराखंड के सभी स्वादिष्ट व्यंजनों और उत्तम राजकीय भोजन में से स्वादिष्ट भोजन चुनना है, तो डबूक को आजमाएं। उत्तराखंड के इस सबसे लोकप्रिय भोजन में से एक का आनंद लेते हुए डबूक आपके पेट के लिए मददगार है और इसे आसानी से आत्मसात किया जा सकता है।

यह आदर्श रूप से चावल और भांग की चटनी के साथ परोसा जाता है और इसे स्वाद में सूक्ष्म बना देता है और तांग का एक मोड़ भी ले जाता है। इसे तैयार करने के लिए, भट्ट की दाल या अरहर की दाल को एक कढ़ाही में धीमी गति से पकाने के बाद बारीक पेस्ट में बदल दिया जाता है। यह सराहनीय है, खासकर सर्दियों के दौरान। डबूक प्रेमी पूरे साल भर इसके स्वादिष्ट स्वाद का लाभ उठाते हैं।

मुख्य सामग्री: अरहर (भट्ट की दाल), मसाले, प्याज

समृद्ध स्रोत: प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व

आलू के गुटके

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आलू के गुटके

आलू के गुटके उत्तराखंड के प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक शुद्ध रूप से मंत्रमुग्ध करने वाली रेसिपी है, जो अपने लोगों के समान है – सरल लेकिन अविश्वसनीय।

यह विशेष रूप से जन्मदिन और पारिवारिक कार्यों जैसे सभी अवसरों पर बनाया जाता है। उत्ताराखंड का यह लोकप्रिय भोजन सभी को लुभाने के लिए लुभाता है।

निस्संदेह, इसे कुमाऊं के क्षेत्रीय भोजन के रूप में घोषित किया जा सकता है, फिर भी दिल के लिए भोजन बन जाता है जब भांग की चटनी, पूड़ी और प्रसिद्ध कुमाऊं रायता परोसा जाता है। उत्तराखंड के हर घर में इसे बनाने का अपना तरीका है, फिर भी उनमें से सभी में अद्भुत विनम्रता है।

उबले हुए आलू और लाल मिर्च और धनिया पत्ती से गार्निश करके तैयार किया गया यह व्यंजन कम से कम इस राज्य की यात्रा के दौरान एक कोशिश का पात्र है।

मुख्य सामग्री: आलू, प्याज, धनिया, लाल मिर्च

समृद्ध स्रोत: विटामिन और कार्बोहाइड्रेट

झिंगोरा / झुंअर की खीर

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झिंगोरा / झुंअर की खीर

झिंगोरा या झुंअर एक अनाज है और यह उत्तराखंड के पहाड़ों में उगता है. यह मैदानों में व्रत के दिन खाए जाने वाले व्रत के चावल की तरह ही होता है. झुंअर के चावलों की खीर यहां का एक स्वादिष्ट व्यंजन है. दूध, चीनी और ड्राइ-फ्रूट्स के साथ बनाई गई झिंगोरा की खीर एक आलौकिक स्वाद देती है।

भारतीय वर्ग के भोजन के बाद कुछ मीठा होने की आदत है और गढ़वाली व्यंजन भी उस परंपरा का पालन करते हैं। झंगोरा की खीर नाम की क्षेत्रीय मीठी और स्वादिष्ट मिठाई जिसका स्वाद लाजवाब है। राज्य का एक प्रसिद्ध नुस्खा, इसका मुख्य घटक बाजरा इसे अलग बनाता है। दूध मुख्य घटक के रूप में कार्य करता है जो इसे बनावट और पोषण में समृद्ध बनाता है।

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मुख्य सामग्री: दूध, बाजरा, चीनी

भट्ट की दाल / चुरकानी

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भट्ट की दाल / चुरकानी

पौष्टिक और स्वादिष्ट से भरपूर ये डिश खाने मे बहुत  है लाजवाब होती है। सुनिश्चित करें कि आप उत्तराखंड के व्यंजनों में से एक चुरकानी जो भट की दाल और साधारण मसालों का मिश्रण है, का स्वाद चखें।

यह पोषक तत्वों से भरपूर है और कम से कम एक बार कोशिश करने के लिए उत्तराखंड का प्रसिद्ध भोजन बना हुआ है।

मुख्य सामग्री: भट की दाल, लोहे की कढ़ाई में बनायें

समृद्ध स्रोत: प्रोटीन

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लिंगुड़े की सब्जी

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लिंगुड़े की सब्जी

लिंगुड़े की सब्जी को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी बनाया जाता है, लगभग सभी पहाड़ी लोगो की पसंदीदा सब्जियों में से एक है. जिसके सामने अच्छी से अच्छी सब्जी भी स्वाद में कम है। और साथ ही साथ यह कई औषधीय गुणों से भरपूर हैं।

लिंगुड़े की सब्जी के कई लाभ हैं और ये मात्र सब्जी ही नहीं बल्कि एक आयूर्वेदिक दवाई बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। यह जून और जुलाई मानसून के दौरान पानी की धाराओं के पास आसानी से उपलब्ध रहते है।

गढ़वाल का फन्ना

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गढ़वाल का फन्ना

यह फेमस उत्तराखंडी भोजन मसूरी का एक मुख्य केंद्र है जो आपकी आँखों और पेट दोनों को तृप्त करने के लिए काफी अच्छा है। यह उन व्यंजनों में से एक है जिसे एक बार खाने के बाद बार बार खाने की लालसा रखने लगेंगे।

चूँकि यह अपने स्वाद और सुगंध में दिव्य है, इसलिए उत्तराखंड में होने वाले हर अवसर पर इसे तैयार किया जाता है क्योंकि कहाँ जाता है इसके बिना कोई भी प्रोग्राम और त्यौहार पूरा नही हो सकता। विशेष अवसरों के अलावा गढ़वाल का फन्ना होटल्स के मेन्यु में भी शामिल है जहाँ आप इसे टेस्ट कर सकते है ।

मुख्य सामग्री: गहत की दाल

 समृद्ध स्रोत: प्रोटीन

फाणु

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फाणु

फाणु एक ऐसा व्यंजन है जो ज्यादातर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में बनाया जाता है । इसे पकाना काफी कठिन होता है क्योंकि इसमें कई प्रकार की दालों को रात भर भिगाया जाता है और फिर उन्हें मिलाकर इस व्यंजन को बनाया जाता है। इस स्वादिष्ट व्यंजन को ज्यादातर चावल के साथ परोसा जाता है।

मुख्य सामग्री: अरहर की दाल, अन्य पहाड़ी दालें

समृद्ध स्रोत: प्रोटीन

कुमाऊँनी रायता

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कुमाऊँनी रायता

जैसे भांग की चटनी उत्तराखंड के हर व्यंजन में शामिल होती है, वैसे ही उत्तराखंड के हर व्यंजन के साथ कुमाऊनी रायता भी मिलता है। दही, हल्दी, और ककड़ी के साथ तैयार; कुमाऊँनी रायता एक ऐसी डिश है, जिसे आप फिर से बनाकर और ज़्यादा पसंद करेंगे। जबकि तत्व स्वास्थ्य को बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाते हैं, दिव्य स्वाद मुंह को पानी देता रहता है।

कुमाऊं का रायता देश के अन्य हिस्सों के रायते से काफी अलग होता है। इसे आम तौर पर लंच के समय परोसा जाता है और इसमें बड़ी मात्रा में ककड़ी (खीरा), सरसों के दाने, हरी मिर्च, हल्दी पाउडर और धनिए का इस्तेमाल होता है। इस रायते की खास बात छनी हुई छाज होती है।

यह रायता बनाने के लिए छाज (प्लेन लस्सी) को एक कपड़े के थैले में भरकर किसी ऊंची जगह पर टांग दिया जाता है। कपड़े में से सारा पानी धीरे-धीरे बाहर निकल जाता है, जबकि छाज की क्रीम थैले में ही रह जाती है। दही की जगह इसी क्रीम का इस्तेमाल कुमाऊंगी रायता बनाने में होता है, जिससे यह काफी गाढ़ा होता है। मेलों आदि में इसे स्नैक्स के रूप में भी खाया जाता है।

मुख्य सामग्री: पहाड़ी खीरा, सरसों के बीज (राई), मसाले, हरी मिर्च, हरा धनिया, दही

समृद्ध स्रोत: प्रोटीन, फाइबर्

काप / कापा

कापा-Kapa-Uttarakhand
काप / कापा

यह एक हरी करी है। सरसों, पालक आदि के हरे पत्तों को पीस कर बनाया जाने वाला ‘काप’ कुमाऊंनी खाने का एक अहम अंग है। इसे रोटी और चावल के साथ लंच और डिनर में खाया जाता है।

यह एक शानदार और पोषक अहार है। ‘काप’ बनाने के लिए हरे साग को काटकर उबाल लिया जाता है। उबालने के बाद साग को पीसकर पकाया जाता है।

आलू – मूली की थेचवाणी  / थेचु

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आलू – मूली की थेचवाणी  / थेचु
ये उत्तराखंड की बहुत ही स्वादिष्ट मूली आलू के थेचु की सब्जी है। थेचु का मतलब कूटना, क्रश करना यह डिश आलू और मूली को कुटकर बनायी जाती है |
जो की खाने मैं बहुत ही स्वादिष्ट लगती है | यह उत्तराखंड के पहाड़ो मैं से एक पहाड़ी लोकप्रिय डिश है | जब आपका मन कुछ अलग नया डिफरेंट खाने को करे तब आप यह आलू मूली का थेचु बना सकते है

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